गोपालकृष्ण गांधी को राजीव गांधी सदभावना पुरस्कार हेतु चयनित
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गोपालकृष्ण गांधी को वर्ष 2018 के राजीव गांधी सदभावना पुरस्कार के लिए चुना गया है. वे पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल हैं, उन्हें सदभाव एवं शांति को बढ़ावा देने के मामले में इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.
राजीव गांधी राष्ट्रीय सदभावना पुरस्कार की सलाहकार समिति ने अपनी बैठक में फैसला किया कि 24वां राजीव गांधी राष्ट्रीय सदभावना पुरस्कार गोपालकृष्ण गांधी को सांप्रदायिक सदभाव, शांति और भाइचारे के संवर्धन में उनके उल्लेखनीय योगदान को लेकर दिया जायेगा. गोपालकृष्ण गांधी को यह पुरस्कार नई दिल्ली में 20 अगस्त को एक विशेष कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा.
राजीव गांधी सदभावना पुरस्कार
इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति पत्र और 10 लाख रुपये नकद दिए जाते हैं. यह पुरस्कार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के मौके पर दिया जाता है. इसे शांति, सांप्रदायिक सदभाव के संवर्धन और हिंसा के खिलाफ लड़ाई में उनके दीर्घकालिक योगदान की याद में शुरू किया गया था.
इससे पहले यह पुरस्कार मदर टेरेसा, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, मोहम्मद युनुस, लता मंगेशकर, सुनील दत्त, दिलीप कुमार, कपिला वात्सायन, तीस्ता सीतलवाड़, स्वामी अग्निवेश, केआर नारायणन, उस्ताद अमजद अली खान, मुजफ्फर अली और शुभा मुदगल को मिल चुका है.
गोपालकृष्ण गांधी के बारे में जानकारी
• गोपालकृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था. वे देवदास गांधी और लक्ष्मीत गांधी के बेटे हैं.
• सेंट स्टी फेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्यअ में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद गोपालकृष्ण् गांधी ने 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं.
• उन्होंने बतौर आईएएस अधिकारी तमिलनाडु में अपनी सेवाएं दीं थीं.
• वे 1985 से 1987 तक उपराष्ट्र पति के सेक्रेटरी भी रहे. वर्ष 1987 से 1992 तक राष्ट्रहपति के ज्वाएइंट सेक्रेटरी और 1997 में राष्ट्रेपति के सेक्रेटरी भी रहे.
• उन्होंनने भारत के उच्चांयुक्त के तौर पर लेसोथो में अपनी सेवाएं दीं.
• इसके बाद वे 2000 में श्रीलंका में भारत के उच्चारयुक्तस और 2002 में नार्वे में भारत के राजदूत नियुक्तद किये गये.
• गोपालकृष्ण गांधी वर्ष 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यापाल के तौर पर भी कार्यरत रहे.
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