रोग एवं उपचार
गठिया रोग शरीर के जोड़ों में यूरिक अम्ल के जमाव से होता है.
2-ड्रॉप्सी रोग सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट ,सायनायड के मिलावट या उजला रंग करने वाली मिलावट के कारण होता है.
पार्थीनियम पौधे की पत्ती के निचोड़ का उपयोग नैनो कणों के जैव संश्लेषण में किया जाता है.यह कैंसर उपचार में लाभकारी है.
मलेरिया से प्रभावित होने वाला अंग
प्लीहा (SPLEEN) है.
मलेरिया प्लाजमोडियम नामक एक कोशिकीय प्रोटोजोआ जंतु के कारण होता है.तथा इसकी वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होती है .
डेंगू एक बुखार है जो विषाणु के संक्रमण से होता है ,जिसे क्यूलेक्स फैटिगेंस तथा एडीज एजिप्टाइ नामक मच्छर फैलाते है .
डेंगू बुखार में पीड़ित रोगी के रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है.
पीला बुखार या पित्त ज्वर एक विषाणु जनित रोग है, जिसका संवहन एडीज इजिप्टि जाती के मच्छरों के द्वारा होता है.
एन्थोफिबिया एक बीमारी है जिसमे पुष्पों तथा पुष्पों के विभिन्न भाग से भय उत्पन्न होता है .
हाइड्रोफिबिया – पानी से डर .
मेनेंजाइटिस , वायरस, बैक्टेरिया तथा अन्य माइक्रोऑर्गेनिज्म के संक्रमण से मस्तिष्क तथा मेरु रज्जु पर चढ़ी झिल्ली में सूजन आ जाने से होने वाला रोग है.
हिस्टीरिया रोग सामान्यतः जवान अविवाहित महिलाओं में होता है.
सिलिकॉसिस एक फेफड़े सम्बंधित बीमारी है .
आयोडीन की कमी से घेंघा रोग होता है.
MRI – मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग
BMD परिक्षण ऑस्टियोपोरोसिस रोग की पहचान के लिए किया जाता है.ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी का एक रोग है.
सैल्मोनेला बैसिलाई नामक जीवाणु के कारण भोजन विषाक्त होता है.
इताई इताई रोग , कैडमियम के दीर्घकालीन विषाक्तन से होता है.
डिप्थीरिया , कुकुर खांसी तथा टिटनेस से बचाव हेतु नवजात शिशु को
DPT वैक्सीन दिया जाता है.
ब्लू बेबी सिंड्रोम रोग से बच्चे प्रभावित होते है जब जल में नाइट्रेट की मात्रा अधिक हो जाती है.
दिल का दौरा पड़ने के पहले घंटे को
गोल्डन आवर के नाम से जाना जाता है.
पोटैशियम ह्रदय की धड़कन एवं नाड़ी के कार्यों को संचालित करता है.
लम्बे समय तक उपवास रखने का सर्वाधिक प्रभाव गुर्दे पर पड़ता है.
कोबाल्ट 60 – शरीर के अंतरंग के अबुर्द उपचार के लिए .
आयोडीन 131 – थायरॉइड अबुर्द का उपचार.
फास्फोरस – 32 श्वेतरक्तता का उपचार (ल्यूकीमिया)
गोल्ड 198 – कैंसर का उपचार
आर्सेनिक 74 – ट्यूमर की पहचान के लिए
हीमोफीलिया एक अनुवांशिक रोग है जिसमे ,रुधिर में कुछ प्रोटीन की कमी के कारण थक्का नहीं जमता.
एल्जाइमर रोग से मानव शरीर का प्रभावित होने वाला अंग मष्तिष्क है.
विकिरणों से सर्वाधिक प्रभावित
आँख और सबसे कम प्रभावित मस्तिष्क होता है.
पोलियो का वायरस शरीर में दूषित भोजन तथा जल के द्वारा प्रवेश करता है .
पोलियो का कारण विषाणु है.
पोलियो की खोज जोन्स साल्क ने की.
एथलीट फूट नामक बीमारी
ट्राइकोफाइकेन नामक विशेष फफूंदी द्वारा होता है.
हेपेटाइटिस बी वायरस हेपा डीएनए वायरस है जिसके कारण यकृत रोग होता है.
EBOLA एक ऐसा रोग है जो विषाणु से होता है.EBOLA एक ऐसा रोग है जो मरीज के संपर्क में आने से फैलता है.
एफ्लाटॉक्सिन खाद्य विषाक्तन के द्वारा सामान्यतः मनुष्य का यकृत प्रभावित होता है.
बर्ड फ्लू, एवियन इन्फ्लुएंजा नमक रोग का ही प्रचलित नाम है जो कि H5N1 नामक वायरस के द्वारा पैदा होता है.
किसी भी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में कैथ लैब होता है ,जिसके द्वारा ‘कोरोनरी धमनी रोग’ कि पहचान एवं उपचार के लिए विभिन्न परिक्षण किए जाते है.
एम्फासीमा , “क्रोनिक प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग” है जिससे मनुष्य का फेफड़ा प्रभावित होता है.
Cu -t का सर्वसामान्य दुष्प्रभाव रक्तस्त्राव है.
इंटरफेरॉन एक प्रकार का प्रोटीन है जिसका प्रयोग गुर्दे एवं रक्त कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है.
थैलीसीमिया एक वंशानुगत बीमारी है, जिसमे रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन के संश्लेषण की क्षमता नहीं होती है.
कुष्ठ रोग जीवाणु के द्वारा उत्पन्न किया जाता है.
फुट एवं माउथ रोग , मुख्यतः गाय,भैंस ,बकरी तथा सुअर में पाया जाता है. यह रोग मुख्यतः विषाणु के द्वारा होता है .
ब्राइटस रोग को यूरेमिया भी कहते है तथा यह शरीर के गुर्दे को प्रभावित करता है.
BCG का टीका तपेदिक से बचाव के लिए शिशु को जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है.
दन्त क्षय का कारण बैक्टीरियल संक्रमण है.
चेचक, पॉक्स वायरस के द्वारा होता है जो एक संक्रामक रोग है.
पीलिया से मनुष्य का यकृत अंग दुष्प्रभावित होता है.
तम्बाकू एवं गुटखा के सेवन से ओरल सबम्युकस बीमारी होता है.
HIV वायरस से अत्यंत घातक रोग एड्स होता है.
AIDS के लिए उत्तरदायी विषाणु , रेट्रो समूह का विषाणु है.
ELISA परीक्षण , AIDS की पहचान के लिए किया जाता है.
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