🐏संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये काजीरंगा नेशनल पार्क का विभाजन🐏
चर्चा में क्यों?
हाल ही में असम के पर्यावरण और वन विभाग ने काजीरंगा नेशनल पार्क को दो वन्यजीव खंडों में विभाजित करने की घोषणा की है। लंबे समय से प्रतीक्षित इस कदम का वन अधिकारियों और जनता द्वारा स्वागत किया गया है।
प्रमुख बिंदु
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को पूर्वी असम वन्य जीव खंड और विश्वनाथ वन्यजीव खंड में विभाजित किया गया है। उल्लेखनीय है कि ब्रह्मपुत्र नदी इन दोनों वन्य जीव खंडों को विभाजित करती है।
दो खंडों में विभाजित होने के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम के कुल वन क्षेत्र में 160 किमी. की वृद्धि हो जाएगी। इस प्रकार काजीरंगा नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 1030 वर्ग किमी. हो जाएगा।
पूर्वोत्तर असम में विश्वनाथ चैरियाली के मुख्यालय के साथ विश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग का निर्माण किया जाएगा जो 160 किलोमीटर दूर होजई में केंद्रीय असम वनीकरण विभाग को स्थानांतरित हो जाएगा। वास्तव में, इस वनीकरण विभाग को ही नए वन्यजीव खंड का नाम दिया गया है।
इससे पहले काजीरंगा नेशनल पार्क को पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग द्वारा प्रशासित किया जाता था जिसका मुख्यालय ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर स्थित बोकाखात था।
इस खंड का निर्माण 1966 में किया गया था।
इस विभाजन से पहले पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग में पाँच श्रेणियाँ- पूर्वी या अग्राटोली, काजीरंगा या कोहोरा, पश्चिमी या बागोरी, बुरापहाड़ और उत्तरी थीं। उत्तरी रेंज को छोड़कर सभी ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर हैं।
अब, 401 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र वाले उत्तरी रेंज को विश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग में अपग्रेड कर दिया गया है, जिसमें इसकी चार श्रेणियाँ हैं- पूर्वी या गामिरी, केंद्रीय या विश्वनाथ घाट, पश्चिमी या नागशंकर और अपराध अन्वेषण रेंज।
विभाजन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
2015 से फरवरी 2018 के बीच असम में 74 गैंडों का शिकार किया गया। इनमें से कई गैंडे काजीरंगा नेशनल पार्क से थे।
अधिकांश गैंडो का शिकार ब्रह्मपुत्र के उत्तरी हिस्से में किया जा रहा था जिसका प्रबंधन करना दक्षिणी हिस्से में तैनात अधिकारियों के लिये मुश्किल था।
काजीरंगा नेशनल पार्क को दो खंडों में विभाजित करने का मतलब है कि अब एक निर्देशक (आगराटोली रेंज के पास बोकाखात में स्थित) के तहत दो विभागीय वन अधिकारी होंगे और बेहतर सतर्कता सुनिश्चित की जा सकेगी।
काजीरंगा नेशनल पार्क
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। 1905 में इसे पहली बार अधिसूचित किया गया था और 1908 में इसका गठन संरक्षित वन के रूप में किया गया जिसका क्षेत्रफल 228.825 वर्ग किलोमीटर था।
इसका गठन विशेष रूप से एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये किया गया था, जिनकी संख्या तब यहाँ लगभग 24 जोड़ी थी। उल्लेखनीय है कि मार्च में की गई गेंडों की पिछली जनगणना के अनुसार, काजीरंगा नेशनल पार्क में लगभग 2,413 गैंडे हैं।
1916 में काजीरंगा को एक पशु अभ्यारण्य घोषित किया गया था और 1938 में इसे आगंतुकों के लिये खोला गया था।
1950 में इसे एक वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत 1974 में काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया।
काजीरंगा नेशनल पार्क को वर्ष 1985 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल में किया गया था।
स्रोत : द हिंदू
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