
नवाज की गिरफ्तारी से पहले पूरे पाकिस्तान में पीएमएल (एन) के सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए। चुनाव में खड़े कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि खुफिया अधिकारी उनसे उम्मीदवारी वापस लेने का चौतरफा दबाव बना रहे हैं। नवाज की वापसी ने उनकी पार्टी में नई जान फूंकी है जबकि अपने भाषणों में भारत का विरोध करते हुए इमरान खान भी नवाज से पीछे नहीं रहना चाहते। पीछे तो इस चुनाव में आतंकी संगठनों के साथ सांठगांठ रखने वाली धार्मिक पार्टियां भी नहीं रहना चाहतीं, जिन्होंने इस बार सबसे ज्यादा 470 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इसका एक पहलू बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा की चुनावी रैलियों में हुए विस्फोटों के रूप में भी दिखा, जिनमें 137 लोगों की जान चली गई। जाहिर है, पाकिस्तान में लोकतंत्र आज भी एक मुलायम बिरवा ही है, जिसे मौका पाकर कोई भी चर सकता है।
Source NBT
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