Wednesday 11 July 2018

सुजनी_क्राफ्ट

#सुजनी_क्राफ्ट

सुजनी क्राफ्ट एक विलक्षण शिल्‍प है जो पुरानी पहनी गई साडियों से बनाई जाती है. साडियों की एक साथ सफेद धागे से सिलाई की जाती है और तब गद्दा बनाई जाती है. इसका इतिहास इसी से जाना जा सकता है की इसका उपयोग पुराने समय में राजा महाराजाओं के दरबार में गाने बजने वाले कलाकारों के द्वारा अपने वाद्ययंत्र तथा अन्य कीमती सामान, किताब, इत्यादि ढकने तथा उसमें लपेटकर रखने के लिए किया जाता था।सुजनी बनाने के लिए पुरानी साड़ियों तथा धोतियों को एक साथ परत दर परत जोड़कर सिलाई की जाती है। इसके द्वारा बने सामानों पर विभिन्न प्रकार की कढाई द्वारा औरतें लोक शैली पर आधारित भिन्न भिन्न दृश्यों का चित्रण करती हैं।

भारतेन्दु दास जी के अनुसार सुजनी की कारीगरी या कला उत्तर बिहार ख़ास कर मुजफ्फरपुर , सीतामढ़ी , मधुबनी और पटना के आस पास बसे कारीगरों मे प्रचलित रहा है .. मुग़लों के अवसान के बाद जिस तरह दिल्ली के आस पास के कई चित्रकार पटना आकर बस गये और ‘पटना कलम’ तथा कम्पनी आर्ट विधा का विकास हुआ, उसी तरह कपड़ों के कारीगर (मूल रूप से राजस्थान के खानाबदोशों की कला है, जिसका आदि मूल कजाकस्तान या बलूचिस्तान से जोड़ा जा सकता है) .. मुजफ़्फ़रपुर के आस पास बस गये … बिहार की न सिर्फ अपनी पुरातन क्राफ्ट तथा चित्रकारी की परंपराएं हैं, यह अन्य जगह के कारीगरों और कलाकारों की शरण स्थली भी रहा है …

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