आम जनता के राष्ट्रपति,वैज्ञानिक,टीचर,फिलॉस्फर और सच्चे हिन्दुस्तानी,कमाल के इंसान.एक शख़्स में इतने गुण? #डॉ_ए_पी_जे_अब्दुल_कलाम_जी को सादर प्रणाम एवं नमन..❤️
कमाल के कलाम...धरोहर के नाम पर थे सिर्फ दो सूटकेस..
देश के युवाओं के दिलों पर राज करने वाले मिसाइलमैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि
है। सिर से पांव तक लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत रहे कलाम साहब की हर एक बात निराली थी,कलाम के बारे में कहा जाता है कि वे कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे।
कर्मों में गीता और बोली में कुरान की मिठास...
इसी की वजह से उनके कर्मों में गीता का असर और बोली में कुरान की मिठास दिखती थी। सादा जीवन उच्च विचार को मानने वाले कलाम साहब के जीवन से जुड़े ऐसे बहुत सारे किस्से हैं, जो आपको हर पल नई बातों को सोचने के लिए प्रेरित करते है। ऐसा ही एक रोचक किस्सा है, उनके राष्ट्रपति भवन जाने का।
धरोहर के नाम पर थे सिर्फ दो सूटकेस
दरअसल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जब राष्ट्रपति चुना गया, तो उनके स्वागत में राष्ट्रपति भवन को जमकर सजाया गया। तमाम तैयारियां यह सोचकर की गईं कि नये राष्ट्रपति का सामान ठीक ढंग से रखा जायेगा। क्योंकि हर किसी को उम्मीद थी कि देश के राष्ट्रपति के पास कम से कम ट्रक भरकर सामान तो होगा ही लेकिन हुआ इससे ठीक उलट क्योंकि कलाम साहब राष्ट्रपति भवन महज दो सूटकेस लेकर पहुंचे थे और यही उनकी पूरी जिंदगी की धरोहर थी।
कलाम साहब ने जो कमाया वो दान कर दिया....
वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति तक का सफर तय करने के बाद भी कलाम ने एक भी संपत्ति अपने नाम पर नहीं जोड़ी। जो था वो सब दान कर दिया। जिंदगी भर कलाम साहब ने जहां भी नौकरी की, वहीं के गेस्ट-हाउस या फिर सरकारी आवासों में जीवन व्यतीत किया। पूरी जिंदगी शिक्षा और देश के नाम करने वाले कलाम साहब को बच्चों से बहुत प्रेम था और ये संयोग ही था कि जब उन्होंने अंतिम सांस ली तो उससे पहले भी वो बच्चों को ही ज्ञान का पाठ पढ़ा रहे थे।
खास बातें
अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था।
उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था।
उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था।
वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में देश में जाने जाते थे।
बच्चों से बेहद प्यार करने वाले ए पी जे अब्दुल कलाम ने बहुत सारी किताबें भी लिखी थीं।
भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन'
स्वभाव से बेहद ही हंसमुख और कविताओं के शौकीन 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये थे।
डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ।
1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था जिसके बाद ही भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।
विज्ञान सलाहकार
इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे।
उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया।
इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया।
इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की।
डॉक्टर कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की।
'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया
यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान 'गाइडेड मिसाइल' के विकास पर केन्द्रित किया।
जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
कलाम को 1989 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डाक्टर कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1997 में सम्मानित किया गया।
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