#Biodiversity
=>>"घड़ियाल: भारतीय मूल की मगरमच्छ वाली संकटापन्न प्रजाति"
★घड़ियाल वास्तव में मगरमच्छ की प्रजाति का होते हुए भी मगरमच्छ से भिन्न एक जानवर है, जो पूरी तरह से दक्षिण एशियाई और खासकर भारतीय मूल का ही है.
★ घड़ियाल का नाम घड़ियाल इसके रूप की वजह से ही पड़ा है. दरअसल, इसकी थूथन बहुत लंबी होती है जो अंत में फूलकर घड़े की आकार की दिखाई देने लगती है. इसी वजह से लोगों ने इसे घड़ियाल कहना शुरू कर दिया होगा.
★यह एक बेहद खूबसूरत और अद्भुत जानवर है, जिसकी लंबाई 7 मीटर (22 फीट) तक हो सकती है. घड़ियाल का जीव-वैज्ञानिक नाम गैवियालिस गैंजेटिकस है.
★यह एक अत्यंत संकटग्रस्त और लुप्तप्राय प्रजाति है. अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के मुताबिक 2006 में इनकी संख्या 200 से भी कम थी. हालांकि हाल के आकलनों में इनकी संख्या 550 के करीब बताई जाती है, और यदि इनमें शिशु और किशोर घड़ियालों की संख्या भी जोड़ दें, तो इनकी संख्या दोगुनी तक हो सकती है.
★घड़ियाल मीठे पानी में रहने वाला मत्स्याहारी (मछली खाने वाला) प्राणी है, जो सरीसृप या रेप्टाइल्स वर्ग का जीव है.
★भारत में घड़ियाल चंबल, गिरवा, घाघरा, गंडक, गंगा, सोन और केन नदियों में देखा गया है. हालांकि इन नदियों में या तो इनकी आबादी बहुत थोड़ी रह गई है, या कुछेक नदियों से यह पूरी तरह लुप्त हो गए हैं.
★ मानवीय आबादी से दूर इन नदियों के तटों पर मछलियों को अपना आहार बनाने के बाद इन घड़ियालों को धूप सेंककर सुस्ताते हुए देखा जा सकता है. ऐसा यह अपने शरीर को गर्म करने के लिए करते हैं. इनकी औसत आयु 50-60 साल मानी जाती है.
★ बढ़ता हुआ तापमान इनकी घटती हुई संख्या का मुख्य कारण है.. उच्च तापमान से नर की जगह मादाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। जिस कारण मैटिंग नहीं हो पाती है।
C
No comments:
Post a Comment