Thursday, 7 June 2018

Repo rate

रेपो दर--

जैसा कि हम जानते हैं बैंकों को अपने काम-काज़ के लिये अक्सर बड़ी रकम की ज़रूरत होती है। बैंक इसके लिये आरबीआई से अल्पकाल के लिये कर्ज़ मांगते हैं और इस कर्ज़ पर रिज़र्व बैंक को उन्हें जिस दर से ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो दर कहते हैं। रेपो दर अधिक होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज़ महँगे हो जाएँगे. जैसे कि होम लोन, वाहन लोन इत्यादि।

रिवर्स रेपो दर--
यह रेपो दर के विपरीत होती है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो दर बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।🇮🇳

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