Sunday 17 June 2018

दहेज-'एक सामाजिक विकृति

दहेज-'एक सामाजिक विकृति'
         सर्वप्रथम बात करते हैं कि दहेज है क्या ? दहेज का अर्थ है "वह सम्पत्ति जो वधू के परिवार द्वारा वर को दी जाती है।"भारत में दहेज को दहेज,हुंडा,वर दक्षिणा आदि नामों से जाना जाता है। उर्दू में दहेज को जहेज़ कहा जाता है। दहेज एशिया के साथ अफ्रीका, यूरोप आदि जगहों में भी प्रचलित है। दहेज लेना व देना दोनों अपराध की श्रेणी में आता है। अब बात उठती है कि यह अपराध करता कौन है तो मेरी दृष्टि में वर और वधू दोनों पक्ष इसके लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं।वर पक्ष जहां अपने रसूख और शोहरत के हिसाब से दहेज की मांग करता है वहीं वधू पक्ष भी अच्छे घर और वर की तलाश में बढ़ चढ़कर दहेज देने को तैयार रहते हैं। वधू पक्ष को सिर्फ सरकारी नौकरी और अमीर परिवार के लड़के की तलाश होती है वहीं वर पक्ष भी उनकी इस मजबूरी का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
          भारत सरकार द्वारा सन् १९६१ में दहेज निरोधक कानून लाया गया जिसके तहत दहेज लेने व देने वाले दोनों को अपराधी माना गया और ऐसा करने वाले को ५वर्ष की कैद और १५००० जुर्माने का प्रावधान किया गया।यह कानून भी दहेज की रोकथाम में असफल रहा। दहेज एक सामाजिक विकृति के साथ एक मानसिक विकृति भी है जो लोगों के दिमाग में घर कर गई है जो फिलहाल खत्म होती नजर नहीं आ रही है।

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