आयुष्मान भारत योजना: इसकी आवश्यकता और प्रभाव
आयुष्मान भारत योजना प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल प्रणालियों में स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन दोनों शामिल हैं।
केंद्रीय बजट 2018-19 ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना शुरू की थी। यह वर्तमान सरकार की आयुष्मान भारत परियोजना का हिस्सा है। यह एक अतिमहत्वाकांक्षी योजना है जिसने आशा और व्यग्रता दोनों उत्पन्न की हैं क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है।
प्रमुख तथ्य:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मार्च 2018 को केन्द्र प्रायोजित आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन लांच करने की स्वीकृति दी थी। इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अयुष्मान मिशन के अंतर्गत केन्द्रीय क्षेत्र के सभी मामले शामिल हैं।
इस योजना में प्रति वर्ष प्रति परिवार को 5 लाख रुपये का लाभ प्रदान किया गया है। इस योजना से 10 करोड़ से अधिक परिवार लाभांवित होंगे। यह परिवार एस.ई.सी.सी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमजोर आबादी के होंगे।
एबी-एनएचपीएम में चालू केन्द्र प्रायोजित योजनाओं-राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) तथा वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (एससीएचआईएस) समाहित होंगी। इस योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना भी सम्लित होगी।
इस योजना के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च का 60 फीसदी तो राज्य सरकारें 40 फीसदी रकम खर्च करेंगी। इसका लाभ देश के 50 करोड़ लोगों को मिलेगा।
योजना का उद्देश्य:
आयुष्मान भारत योजना प्रोग्राम 2018 वर्ष 2025 तक सम्पूर्ण भारत को रोग मुक्त करके विकास के पथ पर ले जाना है। इसके अंतर्गत प्रति वर्ष 50 करोड़ गरीब परिवारों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचना तथा 5 लाख रुपये तक का मेडिकल बीमा कवर देना है।
योजना का प्रमुख प्रभाव:
आबादी के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से को बढ़ा हुआ लाभ कवर सभी द्वितीयक और तृतीयक अस्पताल कवर किए जाएंगे। प्रत्येक परिवार के लिए पांच लाख का कवरेज (परिवार के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं)। इससे गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा तक पहुंच बढ़ेगी।
वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण आबादी की पूरी नहीं की गई आवश्यकताएं पूरी होंगी। इससे समय पर इलाज होगा, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा, रोगी की संतुष्टि होगी, उत्पादकता और सक्षमता में सुधार होगा, रोजगार सृजन होगा और इसके परिणाम स्वरूप जीवन की गुणवत्ता सुधरेगी।
एबी-एनएचपीएम 10.7 करोड़ गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों तथा ग्रामीण और शहरी दोनों को कवर करने वाले सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के नवीनतम डाटा के आधार के अनुसार शहरी श्रमिकों की चिन्हित व्यावसायिक श्रेणी को लक्षित करेगा।
यह योजना गतिशील और आकांक्षी रूप में बनाई गई है और योजना एसईसीसी डाटा में भविष्य में होने वाले अलगाव/समावेशन और वंचन को ध्यान में रखेगी।
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