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आज के ही दिन हमारे राष्ट्रीय गीत के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म (1838) नैहाटी में हुआ था।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। हालांकि उनकी प्रथम
प्रकाशित रचना "राजमोहन्स वाइफ" थी जो कि अंग्रेजी में लिखी गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी ' 1865 में छपी थी। उनकी अगली रचना का नाम 'कपालकुंडला' (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका 'बंगदर्शन' का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया।
आनंदमठ 1882 में लिखी गई उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है।
चटर्जी का अंतिम उपन्यास 'सीताराम' (1886) है।
उनके अन्य उपन्यासों में
मृणालिनी , इंदिरा ,राधारानी ,
देवी चौधरानी और
मोचीराम गौरे जीवनचरित शामिल है।
आनंदमठ में वन्देमातरम गीत है, स्वतंत्रता संघर्ष के समय ये लोकप्रिय गीत था । गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने इस गीत के लिए धुन तैयार की ।
24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।
आज के ही दिन हमारे राष्ट्रीय गीत के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म (1838) नैहाटी में हुआ था।
बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है। हालांकि उनकी प्रथम
प्रकाशित रचना "राजमोहन्स वाइफ" थी जो कि अंग्रेजी में लिखी गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी ' 1865 में छपी थी। उनकी अगली रचना का नाम 'कपालकुंडला' (1866) है। इसे उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका 'बंगदर्शन' का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया।
आनंदमठ 1882 में लिखी गई उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है।
चटर्जी का अंतिम उपन्यास 'सीताराम' (1886) है।
उनके अन्य उपन्यासों में
मृणालिनी , इंदिरा ,राधारानी ,
देवी चौधरानी और
मोचीराम गौरे जीवनचरित शामिल है।
आनंदमठ में वन्देमातरम गीत है, स्वतंत्रता संघर्ष के समय ये लोकप्रिय गीत था । गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने इस गीत के लिए धुन तैयार की ।
24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।
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