Thursday, 31 May 2018

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#29_मई_1968 को वे अमेरिका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बने...इससे पहले उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैंपियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीते थे..!🇮🇳

दारा सिंह ने दुनिया के कई नामी पहलवानों को मात दी थी। पंजाब के अमृतसर जिले में जन्मे दारा सिंह ने अपने समय के बड़े-बड़े पहलवानों को हराया था। दारा सिंह ने 500 से ज्यादा प्रोफेशनल रेसलर्स के खिलाफ फाइट की और सभी में जीत हासिल की थी। उन्हेंं 'रुस्तम-ए-पंजाब' और 'रुस्तम-ए-हिंद' का खिताब दिया गया था। 200 किलो के किंग कॉन्ग को पछाड़ा था...

(दारा सिंह आज ही के दिन 50 साल पहले फ्री स्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैम्पियन बने थे। उन्होंने अमेरिका के विश्व चैम्पियन लाउ थेज को हराया था। इस मौके उनसे जुड़ी हुई कुछ बातें बता रहा है)

- नवंबर 1962 में रांची के अब्दुल बारी पार्क में हुई फाइट दारा सिंह की लाइफ की सबसे अहम फाइट थी।

- ऑस्ट्रेलिया के किंग कॉन्ग ने दारा सिंह को कुश्ती लड़ने की चुनौती दी थी। इसके बाद हुई फाइट में दारा सिंह ने किंग कॉन्ग को हराया था।

- मुकाबले में 200 किलो के किंग कॉन्ग के सामने दारा सिंह बच्चे लग रहे थे, बावजूद वे किंग कॉन्ग पर भारी पड़े थे।

- उन्होंने किंग कॉन्ग को तीन बार पटखनी दी थी। एक बार तो उन्होंने छह फीट लंबे किंग कॉन्ग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए एरिना से नीचे गिरा दिया था।

1954 में भारतीय कुश्ती चैम्पियन बने...

- दारा सिंह की लंबाई 6 फुट 2 इंच, 130 किलो वजन और 54 इंच छाती थी। 20 साल की उम्र में सन् 1948 में वो सिंगापुर चले गए थे।

- वहां उन्होंने ड्रम बनाने वाली मिल में काम किया और हरमान सिंह से कुश्ती की ट्रेनिंग ली।

- दारा सिंह ने 1948-49 के आसपास कुआलालंपुर में तरलोक सिंह को हराया था। इस जीत के साथ ही उन्हेंं चैम्पियन ऑफ मलेशिया का खिताब दिया गया था।

- पांच साल तक फ्री स्टाइल रेसलिंग में दुनिया भर के पहलवानों को चित्त करने के बाद दारा सिंह भारत आकर 1954 में इंडियन कुश्ती चैम्पियन बने।

- दारा सिंह की लोकप्रियता को देख कनाडा के विश्व चैंपियन जार्ज गार्डीयांका और न्यूजीलैंड के जॉन डिसिल्वा ने 1959 में कोलकाता में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में उन्हें खुली चुनौती दे डाली जिनमे दारा सिंह ने दोनो को धूल चटाई थी।

- 1983 में उन्होंने पहलवानी से रिटायरमेंट ले लिया था। 1996 में उनका नाम रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूजलेटर हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया।

रामायण में हनुमान के रोल के लिए किया जाता है याद...

- पहलवानी के दौरान ही उन्होंने अपना एक्टिंग करियर 1952 में फिल्म 'संगदिल' से शुरू किया था। कुछ साल उन्होंने फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए।

- 1962 में बाबूभाई मिस्त्री की फिल्म 'किंग कॉन्ग' में उन्होंने बतौर लीड एक्टर काम किया।

- उन्होंने 16 फिल्मों में एक्ट्रेस मुमताज के काम किया, जिसमें 10 फिल्में सुपरहिट रहीं। उस वक्त दारा सिंह को एक फिल्म के लिए 4 लाख रुपए मिलते थे।

- एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने 7 फिल्मों के लिए कहानी भी लिखी थी। 1978 में आई फिल्म 'भक्ति में शक्ति' का लेखन और निर्देशन उन्होंने ही किया था।

- फिल्म 'जब वी मेट' उनकी आखिरी फिल्म थी। इसमें शाहिद कपूर और करीना कपूर लीड रोल में थे।

- उन्हेंं 'रामायण' सीरियल में निभाए हनुमान के रोल के लिए आज भी याद किया जाता है। हालांकि, इसके पहले भी उन्होंने कुछ फिल्मों में हनुमान का किरदार निभाया था।

2012 में हुआ निधन...

- दारा सिंह को 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उन्हेंं मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल में भर्ती कराया गया।

- लेकिन इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ।

- उनके परिजनों के आग्रह पर अस्पताल से उन्हें छुट्टी दी गई और उन्हें मुंबई स्थित घर पर लाया गया।

- वहीं उन्होंने 12 जुलाई 2012 की सुबह अंतिम सांस ली।

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