Sunday 27 May 2018

स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 : इंदौर फिर बना नंबर एक, भोपाल रहा नंबर दो

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=>स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 : इंदौर फिर बना नंबर एक, भोपाल रहा नंबर दो

- इंदौर ने एक बार फिर बाजी मारते हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में पहला स्थान हासिल किया है। दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल रहा है। पिछले साल की रैंकिंग में भी इन्हीं दोनों शहरों ने पहला और दूसरा स्थान हासिल किया था।
- इस सूची में चंडीगढ़ को तीसरा स्थान मिला है।

- इन शहरों की जनता ने इस अभियान को जनआंदोलन में बदला और ये सफलता पाई।

- इंदौर की ये उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है क्योंकि ये सर्वेक्षण देश के 4 हजार शहरों में किया गया और इसके मापदंड काफी कड़े थे।

#Case_Study
=>आइये जानते हैं क्‍या वजह रही कि इंदौर अपना नंबर वन स्‍थान बरकरार रख पाया।

- 2016 में शहर में 1500 स्थानों पर लिटरबिन लगाए गए थे। 2018 में इनकी संख्या 3000 से ज्यादा हो चुकी है। गीला-सूखा कचरा फेंकने के लिए अलग-अलग नीले-हरे लिटरबिन लगाए गए हैं।

शहर में सात हजार सफाईकर्मी हैं जो दिन-रात सफाई में जुटे रहते हैं। इनमें से 60 प्रतिशत महिला कर्मी हैं। कुल कर्मियों में से 60 प्रतिशत कर्मचारी दिन में और 40 प्रतिशत रात में सफाई करते हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल वेस्ट मैनेजमेंट के 200 कर्मी गाड़ियों से सड़कें साफ करतेे हैं।

हर सफाईकर्मी को 500 से 800 मीटर लंबे हिस्से में सफाई का जिम्मा दिया गया है। रहवासी क्षेत्रों में दिन में एक बार और व्यावसायिक क्षेत्रों में दो से तीन बार सफाई हो रही है। रात में 12 मशीनों से पूरे शहर की 500 किमी लंबी मुख्य सड़कों की सफाई की जाती है।

2016 में निगम के पास डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए 365 गाड़ियां थीं। अब इनकी संख्या 525 हो गई है।

गीला-सूखा कचरा अलग करने के लिए सभी गाड़ियों में दो कंपार्टमेंट बनाए गए हैं।

देश में पहली बार सेनिटरी पेड और डाइपर के लिए गाड़ियों के पिछले हिस्से में गोल डिब्बा लगाया गया है। इस श्रेणी का रोज चार टन कचरा सेग्रिगेट होकर निकल रहा है। निगम ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों में लिटरबिन लगाना अनिवार्य किया है।

गंदगी फैलाने वालों पर एक लाख रुपए तक जबकि थूकने, खुले में शौच या पेशाब करने वालों पर 100 से 500 रुपए तक के स्पॉट फाइन किए जाते हैं।

शहर में 172 पब्लिक और 125 कम्युनिटी टॉयलेट बनाए गए हैं। वहां दिन में चार बार सफाई करने के साथ लाइट, पानी, साइन बोर्ड और पब्लिक फीडबेक आदि के इंतजाम किए गए हैं। टॉयलेट में सेनिटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन और उपयोग के बाद उसे नष्ट करने वाली मशीन वहीं लगाई गई है। दिव्यांगों के लिए रैंप बनाने और हैंडल लगाने के साथ बच्चों के लिए छोटी सीट लगाई गई हैं।

पहले शहर में 110 यूरिनल थे जो अब 232 हो गए हैं। निगम के टॉयलेट के अलावा पेट्रोल पंप, मॉल और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स को स्वच्छ टॉयलेट लोकेटर से लिंक कर दिया गया है। संबंधित संस्थानों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे जनता को टॉयलेट में प्रवेश दें।

देश का पहला शहर है जहां 12500 टॉयलेट में नल का पानी उपलब्ध है। यह इंतजाम और किसी शहर में नहीं है।शहर में वार्डों का कचरा लाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड भिजवाने के लिए 10 कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाए गए हैं जहां आधुनिक मशीनरी लगाई गई हैं।

शहर का 100 प्रतिशत कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन हो रहा है और पूरा शहर कचरा पेटी मुक्त है।इंदौर में 100 प्रतिशत गीले और सूखे कचरे का निपटान होता है। देश में पहली बार किसी शहर के ट्रेंचिंग ग्राउंड को आईएसओ के तीन पत्र मिले हैं। ट्रेंचिंग ग्राउंड में पुराने कचरे का निपटान करके उसके ऊपर बगीचे बनाए जा रहे हैं। इस तरह का काम कोई शहर नहीं कर रहा।

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