Wednesday, 4 December 2024

National Forest Martyrs Day

 National Forest Martyrs Day was established to commemorate the Khejarli massacre of 1730. During this tragic event, Amrita Devi Bishnoi and over 350 members of the Bishnoi community laid down their lives to protect the Khejri trees. They opposed the orders of Maharaja Abhay Singh, who had instructed his men to cut down trees to construct his palace. This brave sacrifice has become a symbol of resistance and the spirit of environmental conservation in India.


The Ministry of Environment, Forest and Climate Change officially declared September 11th as National Forest Martyrs Day in 2013 to honor the legacy of those who gave their lives for the protection of forests and wildlife.

Friday, 11 August 2023

Current Affairs

 1. In which city is the 7th Hockey Men's Asian Champions Trophy being organized - Chennai

2. How many remote pilot training organizations have been approved by DGCA for drone training – 63

3. 'Naya Savera Yojana' has been started by which Union Ministry - Ministry of Minority Affairs

4. The first 'radio frequency seeker' of Akash missile has been manufactured by- Bharat Dynamics Limited

5. Which Indian-American has been made the head of the FBI's field office in Salt Lake City - Shohini Sinha

6. TRAI has tied up with whom to establish cooperation in the field of telecommunication- C-DOT

 7.  Which High Court has allowed ASI to conduct survey in Gyanvapi Masjid complex in Varanasi - Allahabad High Court

भारत में बाघ संरक्षण

 

बाघों की संख्या में हुई वृद्धि:

रेड्डी ने संसद में बताया कि देश में बाघों की आबादी 2006 में 1,411 से बढ़कर 2022 में 3,682 हो गई है. पिछले महीने, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने संयुक्त रूप से 'भारत में बाघों की स्थिति पर सह-शिकारी और शिकार -22' (Co-predators & Prey in India-2022) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की थी. 

मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघ:

मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक बाघ हैं. वहीं कर्नाटक में 563 और उत्तराखंड 560 बाघ है. Co-predators & Prey in India-2022 रिपोर्ट की मानें तो पिछले चार वर्षों में मध्य प्रदेश के जंगलों में 259 बाघ शामिल किये गए है. 

पिछले आकड़ो की बात करें तो मध्य प्रदेश में 785 बाघ है. वहीं कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) के बाद महाराष्ट्र में 444 बाघों की संख्या रिकॉर्ड की गयी है. मध्य प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा और संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व सहित छह बाघ अभयारण्य हैं. 

कैमरा-ट्रैप से की जाती है बाघों की गिनती:

9 अप्रैल, 2022 को, मैसूरु में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के जश्न के दौरान, पीएम मोदी ने बाघों की न्यूनतम आबादी 3167 घोषित की, जो कैमरा-ट्रैप क्षेत्र से जनसंख्या का अनुमान था. बाघों की आबादी की अपर लिमिट 3925 और औसत संख्या 3682 बाघ होने का अनुमान था, जो प्रति वर्ष 6.1% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाती है.

भारत में बाघ संरक्षण के प्रयास:

भारत में वर्तमान में दुनिया की लगभग 70% बाघों की आबादी है. 1970 के दशक में बाघ संरक्षण का पहला फेज शुरू किया गया था. जिसके तहत बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गयी थी. 

मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों में बाघों की कम आबादी चिंता का विषय है.    

प्रोजेक्ट टाइगर के बारें में:

वर्ष 1973 में, भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर के रूप में संरक्षण परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश की बाघ आबादी की सुरक्षा और जैव विविधता का संरक्षण करना था. पिछले पचास वर्षों में, प्रोजेक्ट टाइगर ने बाघ संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए सराहनीय सफलता हासिल की है. 

लेटेस्ट डेटा के अनुसार भारत में बाघों की संख्या कितनी है? जानें

 भारत सरकार देश में बाघों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है, जिसके परिणाम स्वरूप देश में बाघों की आबादी में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है. सरकार ने संसद को बताया कि देश में बाघों की आबादी 2006 में 1,411 से बढ़कर 2022 में 3,682 हो गई है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में देश में बाघों की संख्या का नया आकड़ा पेश किया है.  

रेड्डी से संसद में पूछा गया था कि क्या देश भर में आम लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए देश में कुछ पक्षी, फूल, वन्यजीवों आदि को राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय फूल और राष्ट्रीय पशु के रूप में नामित किया गया है और विशेष दर्जे के साथ-साथ सुरक्षा प्रदान की गई है. जिसके बाद उन्होंने ये आकड़े पेश किये. 

साथ ही उन्होंने कहा कि जैसा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सूचित किया गया है, भारत सरकार ने बाघ और मोर को क्रमशः 'राष्ट्रीय पशु' और 'राष्ट्रीय पक्षी' के रूप में अधिसूचित किया है