Wednesday 10 February 2021

हरित निर्णयों के आर्थिक प्रभाव की जांच करने हेतु नीति आयोग द्वारा एक अध्ययन

 (NITI Aayog study to track economic impact of green verdicts)

संदर्भ:

हाल ही में, नीति आयोग ने, पर्यावरणीय आधार पर बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के लिए बाधा उत्पन्न करने वाले तथा इन पर रोक लगाने वाले न्यायिक निर्णयों के ‘अनपेक्षित आर्थिक परिणामों’ की जांच करने हेतु एक ‘अध्ययन’ करने का फैसला किया है।

इसके लिए, सेंटर फॉर कॉम्पिटिशन, इन्वेस्टमेंट एंड इकोनॉमिक रेगुलेशन, कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (CUTS) को दायित्व सौंपा गया है। CUTS इंटरनेशल एक रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन है और इसका हेडक्वार्टर जयपुर में है।

इस प्रकार के फैसलों के सामान्य परिणाम क्या होते हैं?

न्यायिक फैसलों के आर्थिक प्रभाव दूरगामी होते हैं, जिन्हें निर्णय सुनाने के समय अक्सर ध्यान में नहीं रखा जाता है।

प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के लिए नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले निर्णय, नौकरियों तथा राजस्व में होने वाली कमी के संदर्भ में, आर्थिक हानि पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं करते हैं।

इस अध्ययन का फोकस:

  • इसके तहत, पाँच प्रमुख परियोजनाओं की जाँच करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है। ये परियोजनाएं, सर्वोच्च न्यायालय या राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के न्यायिक निर्णयों से ‘प्रभावित’ हुई हैं।
  • इस स्टडी में, परियोजनाओं के बंद होने से प्रभावित व्यक्तियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों के के साक्षात्कार लेने तथा परियोजनाओं के बंद होने के व्यावसायिक प्रभाव का आकलन करने की योजना तय की गयी है।

अध्ययन के लिए चुनी गयी पाँच परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. मोपा, गोवा में एक हवाई अड्डे का निर्माण
  2. गोवा में लौह अयस्क खनन पर रोक
  3. तमिलनाडु के थूथुकुडी में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करना
  4. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बालू खनन से संबंधित NGT के निर्णय
  5. NGT के दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों संबंधित निर्णय।

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