संदर्भ:
हाल ही में, अमेरिका ने भारत को ‘हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र’ / इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार बताया है।
इसके साथ ही, अमेरिका ने कहा है कि, वह, भारत के अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने और क्षेत्र में समग्र सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका का स्वागत करता है।
‘इंडो-पैसिफिक’ क्या है?
एकल रणनीतिक क्षेत्र के रूप में ‘इंडो-पैसिफिक’ (Indo- Pacific) की अवधारणा, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के परिणाम है। यह, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के मध्य परस्पर संपर्क तथा सुरक्षा और वाणिज्य के लिए महासागरों के महत्व का प्रतीक है।
‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ का महत्व:
- क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखने हेतु।
- भारत की रणनीतिक स्थिति में बढ़त के लिए, अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जाता है।
- राष्ट्रीय हितों के लिए दीर्घकालिक परिकल्पना।
- हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की तेजी से बढ़ती उपस्थिति, व्यापार और सेना के माध्यम से एशिया त्तथा उससे आगे भूराजनीतिक पहुंच का विस्तार करने के चीनी प्रयास।
- नौ-परिवहन की स्वतंत्रता, क़ानून-आधारित व्यवस्था का पालन करने तथा व्यापार हेतु सुव्यवस्थित माहौल का निर्माण करने हेतु।
- मुक्त समुद्र एवं मुक्त हवाई मार्गो तथा कनेक्टिविटी के लिए; और अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों को बनाए रखने के लिए।
भारत के लिए ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ की भूमिका एवं निहितार्थ:
- इंडो-पैसिफिक / हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जैसा कि, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में वर्णित है, विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से गतिमान हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। यह, भारत के पश्चिमी तट से संयुक्त राज्य के पश्चिमी तट तक विस्तृत है।
- भारत, सदैव से गंभीर राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं वाला देश रहा है और “इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी” अवधारणा का सबसे महत्वपूर्ण पैरोकार है।
- मुक्त अर्थव्यवस्था के साथ, भारत, हिंद महासागर में आने निकटवर्ती देशों और विश्व की प्रमुख समुद्री शक्तियों के साथ संबंध स्थापित कर रहा है।
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