Saturday, 8 February 2020

बोडोलैंड का मुद्दा?

क्या है बोडोलैंड का मुद्दा?

📌 बोडो ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी हिस्से में बसी असम की सबसे बड़ी जनजाति है।

📌 1960 के दशक से ही बोडो अपने लिये अलग राज्य की मांग करते आए हैं।

📌 असम में इनकी जमीन पर अन्य समुदायों का आकर बसना और ज़मीन पर बढ़ता दबाव ही बोडो असंतोष की वज़ह है।

📌 अलग राज्य के लिए बोडो आंदोलन 1980 के दशक के बाद हिंसक हो गया और तीन धड़ों में बंट गया।
👉 पहले का नेतृत्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड ने किया, जो अपने लिये अलग राज्य चाहता था। 
👉 दूसरा समूह बोडोलैंड टाइगर्स फोर्स है, जिसने अधिक स्वायत्तता की मांग की। 
👉 तीसरा धड़ा ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन है, जिसने मध्यम मार्ग की तलाश करते हुए राजनीतिक समाधान की मांग की।

📌 बोडो अपने क्षेत्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन पर जो वर्चस्व चाहते थे, वह उन्हें 2003 में मिला। तब बोडो समूहों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में आने पर सहमति जताई।

📌 इसी का नतीजा था कि बोडो समझौते पर 2003 में हस्‍ताक्षर किये गए और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ।

केंद्र सरकार ने असम समझौते पर अमल के अलावा बोडो समुदाय से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे मामलों को पूरा करने के विभिन्‍न उपायों को भी मंज़ूरी दी थी।

📌 बोडो समुदाय में व्याप्त असंतोष के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने बोडो म्‍यूजियम-सह-भाषा व सांस्‍कृतिक अध्‍ययन केंद्र की स्‍थापना को मंज़ूरी दी है।

📌 कोकराझार में फिलहाल काम कर रहे ऑल इंडिया रेडियो स्‍टेशन व दूरदर्शन केंद्र को आधुनिक बनाया जाएगा।

📌 Bodoland Territorial Area Districts (BTAD) से होकर जाने वाली एक सुपरफास्‍ट ट्रेन का नाम अरोनई एक्‍सप्रेस रखने को भी मंज़ूरी दी है।

बोडोलैंड टेरीटोरियल ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट के चार जिलों- कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ी में लगभग 30 फीसदी आबादी बोडो जनजाति की है।

इस समझौते के बाद :

👉 सभी बोडो जनजाति के लोग हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे, अपने सभी हथियार सरेंडर करेंगे और अपने सशस्त्र संगठन को एक महीने के भीतर खत्म करेंगे।

👉 एनडीएफबी(पी), एनडीएफबी(आरडी), और एनडीएफबी(एस) के लगभग 1550 कैडरों का भारत सरकार और असम सरकार द्वारा पुनर्वासन किया जाएगा।

👉 बोडो क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को 1500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

👉 बोडो आंदोलन के समय लगभग 4000 लोगों ने अपनी जान गंवाई, बोडो आंदोलन में जिन परिवार के सदस्यों ने अपनी जान गंवाई उनको 5 लाख का मुवावजा दिया जाएगा।

👉 असम सरकार बोडो भाषा को राज्य में सहयोगी आधिकारिक भाषा का दर्जा भी देगी।

पिछले एक महीने में पूर्वोत्तर समस्या से जुड़े तीन बड़े और ऐतिहासिक समझौते भारत सरकार ने किए हैं. इसमें  त्रिपुरा में 80 सशस्त्र आतंकियों का समर्पण, मिजोरम-त्रिपुरा के बीच ब्रू-रियांग शरणार्थियों को स्थायी निवास देना और अब बोडो शांति समझौता होना शामिल है.

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