Sunday 17 June 2018

American सरकार का कई देशों को आर्थिक , सामाजिक और सैन्य युद्ध में झोंक देने का इतिहास रहा है ।

American सरकार का कई देशों को आर्थिक , सामाजिक और सैन्य युद्ध में झोंक देने का इतिहास रहा है ।
जिसके परिणाम में  वियतनाम युद्ध में 30 लाख , सोवियत - अफगान युद्ध मे 10 लाख , सीरिया में पौने 5 लाख , इराक में साढ़े 4 लाख , पाकिस्तान में अस्सी हजार लोग मारे गए । दुनिया भर में आर्म्स डीलिंग , नशे के कारोबार,  मानव व्यापार , कई देशों में तख्ता पलट जैसे कामो में सीआईए का कोई जोड़ नही है ।

फिर भी अमेरिका को कोई भी मीडिया ग्रुप आतंकवादी देश नही कह सकता । सारी दुनिया के लोग जानते है कि अमेरिका ने वियतनाम युद्ध मे अमानवीयता की हद को पार कर दिया था , इस युद्ध मे अमेरिका ने छोटे से देश उत्तरी वियतनाम पर इतने बोम बरसाए जितने पूरे द्वितीय विश्व युद्ध मे बरसाए गए थे ।

लेकिन आज भी दुनिया का कोई अखबार , मीडिया चेनल  नही कह सकता कि सीआइए को ban करो यह आतंकवादी संगठन है ।

अफ़ग़ानिस्तान और इराक को भी तबाह करके रख दिया अमेरिका ने ।
जब दुनिया को यह पता है , कि इराक में केमिकल वैपन्स नही मिला तो इराक को अमेरिका क्षतिपूर्ति क्यो नही दे रहा है ??

आज अमेरिका किस हैसियत से दूसरे संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर रहा है ।
आरएसएस के पास न तो न्यूक्लियर बम , न एके 47 , न ही आत्मघाती हमला करने का कोई आरोप है , लेकिन अमेरिका ने कुटिलता पूर्वक इस संगठन को भी आतंकवाद की लिस्ट में डाल रखा है , ध्यान रहे देश के प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति और कई विशिष्ट लोग इस संगठन के स्वयंसेवक रह चुके है ।

तुलसीदास जी ने सही ही लिखा था , कि
"समरथ को नही दोष गुसाईं "

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