Sunday 17 June 2018

दैनिक समसामयिकी 17 June 2018 (Sunday)

दैनिक समसामयिकी

17 June 2018 (Sunday)

1.राष्ट्रपति कोविंद सूरीनाम ग्रीस, क्यूबा की यात्रा पर
• राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को ग्रीस, सूरीनाम और क्यूबा की आठ दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। राष्ट्रपति कार्यालय ने ट्वीट किया, राष्ट्रपति के तौर पर यह कोविंद की चौथी और अफ्रीका से बाहर पहली अधिकारिक यात्रा है। वह सूरीनाम और क्यूबा की यात्रा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति होंगे। वहीं राष्ट्रपति कलाम द्वारा वर्ष 2007 में ग्रीस की यात्रा करने के बाद वह इस देश की यात्रा करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं।
• उनकी पत्नी सविता के अलावा, राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री विष्णु देव, लोकसभा सदस्य दिनेश कश्यप और नित्यानंद राय और वरिष्ठ अधिकारी भी इन देशों की यात्रा पर गए हैं। ग्रीस में, कोविंद राष्ट्रपति प्रोकोपिस पावलोपोलुस, प्रधानमंत्री एलेक्सी सिप्रास और विपक्ष के नेता कायरिआको मित्सोटाकिस के साथ बैठक करेंगे। कोविंद वहां ग्रीस के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे और ग्रीस के अग्रणी थिंकटैंक, हैलेनीक फाउंडेशन फॉर यूरोप एंड फॉरेन पॉलिसी में ‘‘बदलते विश्व में भारत और यूरोप’ के मुद्दे पर भाषण देंगे।
• भारत और ग्रीस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 53 करोड़ डॉलर का है और कुछ भारतीय कंपनियां इस मध्य यूरोपीय देश में आधारभूत, फर्माश्युटिकल और इस्पात क्षेत्र में मौजूद हैं। कोविंद ग्रीस में 12,000 भारतीय प्रवासी समुदाय को भी संबोधित करेंगे।ग्रीस के बाद, कोविंद 19 जून को सूरीनाम जाएंगे, जोकि भारत के राष्ट्रपति का पहला दौरा होगा।
• कोविंद की सूरीनाम और क्यूबा दौरे को भारत के लैटिन अमेरिकी देशों को ज्यादा महत्व देने के नजरिए से देखा जा रहा है। सूरीनाम में वह स्वास्य और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। सूरीनाम की 33 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल के लोगों की है।
• कोविंद यहां विवेकानंद संस्कृति केंद्र की आधारशिला भी रखेंगे। 21 जून को, कोविंद वहां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रमों में शामिल होंगे।सूरीनाम के बाद, वह अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ क्यूबा जाएंगे, जोकि किसी भी भारतीय राष्ट्रपति का पहला दौरा होगा।

2. ब्रिटेन करेगा टियर टू वीजा में बदलाव
• ब्रिटेन ने अपनी आव्रजन नीति में बदलाव कर इसे संसद के विचारार्थ पेश किया है। इन बदलावों में भारत जैसे देशों के उच्च प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स के लिए कड़े वीजा कोटा नियमों की समीक्षा करना शामिल है। उसकी इस पहल की भारत और ब्रिटेन के उद्योगों ने सराहना की है।
•  आव्रजन नीति में बदलाव से उन उद्योगों को अपने यहां सेवा देने के लिए भारत जैसे देशों से प्रोफेशनल्स लाने में आसानी होगी और इसके साथ ही भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को भी काफी लाभ होगा।ब्रिटेन के आव्रजन मंत्री केरोलाइन नोक्स ने बताया, आज के इन बदलावों से हम अपनी फ्रंटलाइन सेवाओं की मांगों को पूरा करने में सक्षम होंगे और अपने उद्योगों के लिए अच्छे पेशेवरों को भी आकर्षित कर सकेंगे।
• फेडरेशन आफ इंडियन चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, भारतीय प्रोफेशनल्स की पुरानी मांगों के बीच ब्रिटिश सरकार की ओर से टियर टू वीजा कैटेगरी को आसान बनाने का कदम एक स्वागतयोग्य घटनाक्रम है। यूके सरकार का यह कदम निश्चित रूप से उच्च कुशल पेशेवरों के आने जाने को सुगम बनाएगा और लंबे समय तक ब्रिटेन के उद्योग की समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि करेगा।
• ब्रिटेन में डाक्टरों और नसरें की कमी तथा राष्ट्रीय स्वास्य सेवाओं में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए सरकार ने पहले ही यह घोषणा की थी कि यूरोपीय संघ के बाहर के देशों से आने वाले चिकित्सकों एवं नसरें को टियर टू वीजा से छूट होगी।
• कन्फेडरेशन आफ ब्रिटिश इंडस्ट्री के मुख्य नीति निर्देशक मैयू फेल ने बताया, उद्योग इन सुधारों का स्वागत करेगा क्योंकि यह एक अच्छा कदम है। अंतरराष्ट्रीय कौशल और प्रतिभा ब्रिटेन के नियंतण्र नियोक्ताओं का मुख्य आधार है।

3. आरटीआइ एक्ट में होगा संशोधन, केंद्र ने की पुष्टि
• केंद्र सरकार ने एक आरटीआइ याचिका के जवाब में इस बात की पुष्टि की है कि वह सूचना के अधिकार कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है, लेकिन सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने प्रस्तावित संशोधन बिल का ब्योरा देने से इन्कार कर दिया है।
• शनिवार को आरटीआइ याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने बताया कि उन्हें यह जवाब डीओपीटी विभाग से इसी महीने मिला है। उन्होंने बताया कि जवाब में कहा गया है कि आरटीआइ अधिनियम, 2005 में संशोधन पर विचार चल रहा है। आरटीआइ एक्ट की धारा 8(1)(आइ) के तहत यह प्रक्रिया जिस मुकाम पर है उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
• आरटीआइ के आवेदन में जो सवाल पूछे गए थे उसमें से सबसे अहम था कि किस तारीख से आरटीआइ अधिनियम के प्रस्ताव में संशोधन किया जाएगा। किस तारीख को डीओपीटी विभाग इससे संबंधित प्रस्ताव को अग्रसारित करेगा और कैबिनेट किस तारीख को मौजूदा कानून को संशोधित करेगी। याचिका में संशोधन के मसौदे की प्रति, डीओपीटी की ओर से भेजे गए प्रस्ताव की प्रति और कैबिनेट के निर्णय की प्रति भी मांगी गई थी।
• याचिकाकर्ता भारद्वाज ने कहा कि संप्रग शासनकाल में लाई गई 2014 की विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी) के तहत सरकार को सभी विधेयकों और नीतियों आदि को योजना बनाने के दौरान जनता के समक्ष परामर्श के लिए एक महीने के लिए उजागर करना चाहिए, लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार इस संशोधन को कतई सार्वजनिक नहीं करना चाहती है। उन्होंने इस बारे में कोई भी सूचना नहीं दी है।
• भारद्वाज ने कहा कि उन्हें मीडिया की रिपोर्टो से पता चला था कि आरटीआइ के संशोधन की योजना है और इस सिलसिले में एक संशोधन विधेयक तैयार हो रहा है। इसलिए आरटीआइ की याचिका दायर करके हमने विधेयक की विषय-सामग्री के बारे में जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया है। हमें जवाब दिया गया कि आरटीआइ अधिनियम में एक धारा 8(1)(आइ) के तहत कैबिनेट के दस्तावेज नहीं दिखाए जा सकते, लेकिन बात यह है कि हमने कैबिनेट के पेपर नहीं मांगे। हम तो सिर्फ यह पूछ रहे हैं कि डीओपीटी ने सूचना के अधिकार संबंधी कानून में संशोधन के लिए क्या दस्तावेज तैयार किए हैं और संशोधन किस दिन होगा।

No comments: